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                                                            *गुरु पूर्णिमा* गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है  युग कोई भी रहा होए हमेशा गुरु का सम्मान होता रहा है।  भारतीय अध्यात्म में गुरु का अत्ंयंत महत्व है। सच बात तो यह है कि आदमी कितने भी अध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ ले जब तक उसे गुरु का सानिध्य नहीं  मिलेगा वह कभी इस संसार तथा अध्यात्म का रहस्य समझ नहीं पायेगा   जीवन में पूर्ण गुरु होना अत्यंत आवश्यक है          पूर्ण संत ( गुरु  ) की पहचान  (पवित्रा सद्ग्रन्थों से पूर्ण संत की पहचान) :-    वेदों, गीता जी आदि पवित्रा सद्ग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि जब-जब धर्म की  हानि होती है व अधर्म की वृद्धि होती है तथा वर्तमान के नकली संत, महंत व  गुरुओं द्वारा भक्ति मार्ग के स्वरूप को बिगाड़ दिया गया होता है। फिर परमेश्वर  स्वयं आकर या अपने परमज्ञानी संत को भेज कर सच्चे ज्ञान के द्वारा धर्म की पुनः  स्थापना करता है। वह भक्ति मार्ग को शास्त्रों के अनुसार समझाता है। तथा वेदो   के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण  विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है

बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप

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भारत को आजाद हुए लगभग 73 वर्ष बीत चुके है परंतु बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है किसी देश को विकसित होने के लिए बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटना होगा क्योंकि किसी देश की उन्नति में बेरोजगारी सबसे बड़ी बाधाओ मे से एक प्रमुख तथा मुख्य बाधा है बेरोजगारी एक गम्भीर मुद्दा बन चुका है बेरोजगारी का अर्थ होता है शिक्षा की कमी, कौशल की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कार्यक्षमता होने के बावजूद भी शिक्षित व्यक्ति को उनकी योग्यता तथा ज्ञान के अनुरूप काम या नोकरी न मिल पाना । बेरोजगारी जैसी गम्भीर समस्या से निजात पाने के लिए सरकार को कुछ जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए बेरोजगारी का प्रभाव:- शिक्षा तथा ज्ञान के अनुसार नौकरी/काम न मिलने के कारण समाज मे बेरोजगारी एक अभिशाप बनती जा रही है समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है कहते है न कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेरोजगारी के कारण बिगड़ जाता है दिमाग मे तरह तरह के विचार/अवसाद उठते रहते है जैसे चोरी,जारी,रिश्वतखोरी,नशा करना ,असवैधानिक कदम उठाना इत्यादि  बेकारी बढ़ाने के कारण: 1.जनसँख्या वृद्धि  2.धीमा आर्थिक