बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप

भारत को आजाद हुए लगभग 73 वर्ष बीत चुके है परंतु बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है किसी देश को विकसित होने के लिए बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटना होगा क्योंकि किसी देश की उन्नति में बेरोजगारी सबसे बड़ी बाधाओ मे से एक प्रमुख तथा मुख्य बाधा है बेरोजगारी एक गम्भीर मुद्दा बन चुका है बेरोजगारी का अर्थ होता है शिक्षा की कमी, कौशल की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कार्यक्षमता होने के बावजूद भी शिक्षित व्यक्ति को उनकी योग्यता तथा ज्ञान के अनुरूप काम या नोकरी न मिल पाना । बेरोजगारी जैसी गम्भीर समस्या से निजात पाने के लिए सरकार को कुछ जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए

बेरोजगारी का प्रभाव:-

शिक्षा तथा ज्ञान के अनुसार नौकरी/काम न मिलने के कारण समाज मे बेरोजगारी एक अभिशाप बनती जा रही है समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है कहते है न कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेरोजगारी के कारण बिगड़ जाता है दिमाग मे तरह तरह के विचार/अवसाद उठते रहते है जैसे चोरी,जारी,रिश्वतखोरी,नशा करना ,असवैधानिक कदम उठाना इत्यादि 

बेकारी बढ़ाने के कारण:

1.जनसँख्या वृद्धि  2.धीमा आर्थिक विकास 3.मौसमी व्यपार 4.किसी आकस्मिक महामारी(covid-19)के कारण बेकारी बढ़ना 5.संसाधनों की कमी 6.मशीनीकरण से बेरोजगारी बढ़ना इत्यादि
बेरोजगारी को खत्म करने के समाधान :
1.रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जाए
2.जनसँख्या पर नियंत्रण 
3.औधोगिकरण को बढ़ावा 
4.प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाए
5.युवाओ के लिए कौशल विकास योजना केंद्र  खोले जाए
6.बेरोजगार युवाओं को आर्थिक सहायता इत्यादि

निष्कर्ष:

देेश में बेरोजगारी की समस्या लम्बे समय से है इनको खत्म करने के लिए सरकार ने काफी योजनाए तथा कार्यक्रम लागू किये है परंतु ये कार्यक्रम तथा योजनाए उचित तरीके से लागू नही हो पाई है सरकार के नीति निर्माताओं तथा नागरिको दोनो को अधिक नौकरी देने के साथ साथ कौशल विकास में भी सामूहिक प्रयास करने से ही बेरोजगारी की समस्या से निजात पाई जा सकती है

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